लेखक : वलेन्तीना असेयेवा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : वलेन्तीना असेयेवा अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
यह कथा लेखक के संस्मरण के तौर पर रची गयी है, जहाँ उसने आखिरी बेंच से जुडी अपनी कई सारी कहानी और यादे... यह कथा लेखक के संस्मरण के तौर पर रची गयी है, जहाँ उसने आखिरी बेंच से जुडी अपनी क...
कैसे एक शिक्षिक के सही दिशा दिखाने से अन्तर्मुखी बच्चे भी खुल आकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर पाते ह... कैसे एक शिक्षिक के सही दिशा दिखाने से अन्तर्मुखी बच्चे भी खुल आकर अपनी प्रतिभा क...
रमेश जी और प्रणव जी बिना बात किये रोज़ अखबार पढ़ते, प्रणव जी को बेटे के पास जाना पड़ा तो रमेश जी अजीब ... रमेश जी और प्रणव जी बिना बात किये रोज़ अखबार पढ़ते, प्रणव जी को बेटे के पास जाना ...
लेखक : इवान बूनिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : इवान बूनिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
फार्म हाउस आ गया था, रंजीत ने आगे बढ़कर गेट का ताला खोला और कार मुख्य इमारत की और बढ़ गयी फार्म हाउस आ गया था, रंजीत ने आगे बढ़कर गेट का ताला खोला और कार मुख्य इमारत की और...